संग्रहालय का समय : प्रातः 8:00 से रात्रि 10:00 बजे तक // अवकाश : प्रत्येक मंगलवार एवं राजपत्रित अवकाश

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‘‘सिद्धा’’

04 से 06 अक्टूबर, 2019

त्रिवेणी संग्रहालय में शक्ति कि महिमा पर केन्द्रित “सिद्धा समारोह” सम्पन्न (06/10/19)


संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्त्व संग्रहालय, उज्जैन में शक्ति की महिमा पर केन्द्रित तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह 'सिद्धा' में आज के देवी के स्वरुप आधारित “निमाड़ी गायन” और असम की लोक समूह नृत्य एवं कथक शैली में “आर्या नृत्य-नाट्य” की नृत्याभिनय प्रस्तुतियाँ संग्रहालय के सभागार कक्ष में हुई ।

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, वरिष्ठ विद्वान की उपस्थिति में कलाकारो के सम्मान के साथ किया गया । समारोह की पहली प्रस्तुति में हरदा से पधारे ख्यात गायक श्री विशाल शुक्ला एवं साथियों ने निमाड़ी शैली में निबद्ध गणगौर गायन से की । इसके अन्तर्गत कलाकारों ने गणगौर को माता पार्वती का स्वरूप मानते हुए निमाड़ी भजन “गणपती लागा तुम्हारा पाय”, “खूब बनी रे वा अजब बन, म्हारी नानी सी रणू बाई खूब बनी”, “जल भरने रणू बाई आई रे”, “भवर डोंगर में झूलो बंध्यो” आदि गणगौर गीतो का संकलन अपनी प्रस्तुति में किया ।

प्रस्तुति के दौरान संगतकारों में श्री जगदीश गुर्जर(कोरस), श्री राजकुमार गुर्जर(मंजीरा), श्री रामनिवास गुर्जर(कोरस), श्री सोनू गुर्जर (ढोलक), श्री रितेश गुर्जर(ढोलक), श्री हरिश्याम गुर्जर (घुंगरु), श्री रमेश गुर्जर (तंबुरा) ने साथ दिया ।

इसके पश्चात असम से पधारे कलाकार श्रीमती मारामी मेधी एवं सथी ने “कथक एवं असमिया लोक समूह नृत्य” शैली के माध्यम से यह बताया की देवी आर्या ही पूर ब्रह्माण के निर्माण का कारक है, वे सांसारिक लगाव और वैराग्य से परे परमेश्वरी है, वह उमा है, वह गौरी है और वह ही पार्वती है साथ ही देवी के विविध स्वरूपों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण कलाकारो ने सभी सुधी दर्शकों के मध्य किया ।

इस अंतिम प्रस्तुति के साथ ही त्रिदिवसीय सिद्धा समारोह का समापन हुआ । दर्शकों के लिये सभी कार्यक्रम निःशुल्क एवं प्रभावी होने से जनता ने भरपूर लाभ लिया । त्रिवेणी संग्रहालय में गायन, वादन और नृत्य के त्रिविध कार्यक्रम अवसर विशेष पर आयोजित किये जाते जिन्हें जनसामान्य का भरपूर समर्थन मिलता है ।